रामायण काल के सबसे शक्तिशाली राक्षसराज रावण के शक्तिशाली दिव्यास्त्र। जिनके रहते उसे हराना मुश्किल था। powerful weapon (Astra) of Ravan
शक्तिशाली राक्षसराज रावण के शक्तिशाली दिव्यास्त्र (powerful weapon of Ravan)
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astras (weapons) of Ravan |
शक्तिशाली राक्षसराज रावण के शक्तिशाली दिव्यास्त्र-
रामायण काल का सबसे शक्तिशाली राक्षस रावण जिसे हम दशानन के नाम से भी जानते हैं हमारे पौराणिक ग्रंथों के महानतम ऋषियों और सप्तर्षियों में से एक पुलस्त्य का पोता था। उसका जन्म ऋषि विश्रवा और असुर माता कैकशी से हुआ था। इसलिए रावण को आधा असुर (राक्षस) और आधा ब्राह्मण (ऋषि) माना जाता है। रावण रामायण के प्रमुख चरित्रों में से एक था जिसका वध प्रभु श्री राम ने अपने हाथों से किया था। रावण बहुत ही उच्च कोटि का विद्वान था उसको सभी वेदों का ज्ञान था वह भगवान शिव का बहुत बड़ा भक्त भी था। रावण वैसे तो अपने आप में ही काफी शक्तिशाली था क्यूंकि उसे कई सारे वरदान प्राप्त थे और उसे मायावी शक्तियों का भी ज्ञान था लेकिन फिर भी उसके पास कई सारे दिव्यास्त्रों (divyastro) का वर्णन मिलता है।
जो की कुछ इस प्रकार हैं-
तामस अस्त्र - रावण का यह अत्यंत महा घोर अस्त्र ब्रह्मा जी का बनाया हुआ था जब इस अस्त्र का प्रयोग रावण ने युद्ध में किया तो इस अस्त्र के प्रयोग से वानर इधर उधर भागने लगे और भस्म होने लगे।
आसुर अस्त्र - श्रीराम के साथ होने वाले युद्ध में रावण ने यह महाभयंकर अस्त्र का प्रयोग किया जिससे सिंह, बाघ, गिद्ध, बाज आदि खतरनाक पशु और पक्षियों के मुँह वाले बाण उत्पन्न होते थे जिसके प्रभाव को नष्ट करने के लिए प्रभु श्री राम ने आग्नेय अस्त्र का प्रयोग किया।
माया सुर के द्वारा बनाया हुआ अस्त्र - रावण के शक्तिशाली दिव्यस्त्रों मे यह अस्त्र भी शामिल था। इसके प्रयोग से शूल, गदा, मूसल जैसे अन्य अस्त्र निकल कर शत्रु पर बरसते थे। जिससे शत्रु सेना की हानि होती थी।
सूर्यास्त्र - सूर्य अस्त्र अत्याधिक शक्तिशाली दिव्यास्त्रों में से एक है। इसके प्रयोग से सूर्य के समान ऊष्मा उत्पन्न होती है।
शक्ति बाण या शत्रुघातिनी शक्ति - रावण ने इस शक्ति का प्रयोग अपने भाई विभीषण का वध करने के लिए किया लेकिन लक्ष्मण जी के बीच में आ जाने के कारण ही शक्ति लक्ष्मण जी को लग गयी। और लक्ष्मण जी मूर्च्छित हो गए थे।
वरुण अस्त्र - रावण की अपने भाई कुबेर से बिल्कुल भी नहीं बनती थी। तो जब कुबेर और रावण में युद्ध हुआ तो कुबेर ने आग्नेय अस्त्र का प्रयोग किया जिसकी काट के रूप में वरुण अस्त्र का प्रयोग रावण ने किया। इस अस्त्र का प्रयोग करने से बादल उत्पन्न होते थे और बारिश आती थी।
चंद्र हास तलवार - रावण वैसे तो असुर था पर फिर भी वो शिव जी का बहुत बड़ा भक्त था। तो उसने सोचा कि क्यूँ ना शिव जी को लंका ही ले जाया जाए। इस बात को सोचकर वो कैलाश पर्वत पहुंचा और उसे उठाने की चेष्टा करने लगा तब नंदी जी ने उन्हें समझाया कि वो ऐसा ना करे लेकिन फिर भी रावण नहीं माना और अपनी शक्तियों के सहारे उसने कैलाश पर्वत को कुछ हद तक उठा भी लिया, किन्तु शिव जी ने अपना पैर उठा कर वापिस रख दिया जिससे रावण के हाथ उस पर्वत के नीचे दब गए उस समय शिव जी को प्रसन्न करने के लिए रावण ने उनकी उपासना शुरू कर दी और एक स्तोत्र की रचना की जिसे हम शिव तांडव स्तोत्र के नाम से जानते हैं। तब रावण की भक्ति देखकर शिव जी ने रावण को चंद्र हास तलवार दी । यह तलवार देखने मे शिव जी के सिर पर उपस्थित चंद्रमा के समान जान पड़ती थी।
सीता हरण के समय जब रावण का सामना जटायु से हुआ तो इसी तलवार से रावण ने जटायु के पंख काट दिए थे।
आग्नेयास्त्र - जैसा कि हम पहले भी बता चुके हैं कि आग्नेयास्त्र बहुत ही शक्तिशाली दिव्यास्त्र है जिसके प्रयोग से भयंकर मात्र में अग्नि उत्पन्न होती थी । आग्नेयास्त्र से उत्पन्न इस अग्नि को मन्त्रों से नियंत्रित कर सकते थे । रावण के पास जो दिव्यास्त्र थे उनमें मायावी शक्तियां भी सम्मिलित थी जिससे रावण के सभी दिव्यास्त्र अत्याधिक शक्तिशाली बन जाते थे। नील के साथ होने वाले युद्ध में रावण ने आग्नेयास्त्र का प्रयोग कर नील को पराजित किया था।
ब्रह्मास्त्र - रामायण काल और महाभारत काल दोनों में ही ब्रह्मास्त्र कई सारे योद्धाओं के पास था। रावण के पास भी ब्रह्मास्त्र था। ब्रह्मास्त्र बहुत ही शक्तिशाली दिव्यास्त्र था इसका प्रयोग करने के बाद ये लक्ष्य को भेद कर ही वापिस आता था। रावण और लक्ष्मण जी के बीच होने वाले युद्व के समय जब लक्ष्मण जी रावण के सभी दिव्यास्त्रों को काट रहे थे तब अपनी पराजय को देखकर रावण ने लक्ष्मण जी पर ब्रह्मास्त्र का प्रयोग किया जिससे लक्ष्मण जी मूर्च्छित हो गए।
रावण अस्त्र - यह अस्त्र रावण का महाशक्तिशाली दिव्यास्त्र था। बताया जाता है कि इसको साधारण देव, असुर या मानव नहीं काट सकते थे। लेकिन प्रभु श्री राम को सभी प्रकार के अस्त्रों का ज्ञान था जिसका प्रयोग करके प्रभु राम जी ने इस अस्त्र की काट के लिए विशेष अस्त्र का निर्माण किया जिसे कोदंडराम अस्त्र भी कहा जाता है।
तेजप्रभा अस्त्र - यह अस्त्र अत्याधिक शक्तिशाली ऊष्मा उत्पन्न करने वाला दिव्यास्त्र था। इसके प्रयोग से कई सारे सूर्य से उत्पन्न ताप के बराबर ऊष्मा उत्पन्न होती थी। इस अस्त्र की काट शिशिर अस्त्र से सम्भव होती थी।
इसके अलावा रावण के पास नागपाश, नाग अस्त्र, वज्र अस्त्र, पर्वतास्त्र, शिशिर अस्त्र और कई शक्तिशाली दिव्यास्त्र थे। जिनके प्रयोग से वह अत्यधिक शक्तिशाली बन जाता था।
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