महादेव के ऐसे सबसे शक्तिशाली अवतार जिनकी शक्तियों का लोहा तो देवता भी मानते थे । Powerful Avtars Of Lord Shiva
शिव जी के शक्तिशाली अवतार (Powerful avtars of lord Shiva)
नमस्कार दोस्तों जैसा कि हम सभी जानते हैं कि सावन के महीने में भगवान शिव जी अर्थात् महादेव की पूजा का विशेष महत्व है। वही भगवान शिव जो बहुत ही सौम्य होने के कारण भोले बाबा के नाम से जाने जाते हैं और राक्षसों में भय उत्पन्न करने के कारण रुद्र भी कहलाते हैं। शिव पुराण में शिव जी की महिमा का सम्पूर्ण वर्णन बहुत ही अच्छे से किया गया है। बताया जाता है कि शिव जी को प्रसन्न करना अत्याधिक सहज है। हमारे भोले बाबा तो इतने भोले हैं कि इनके शिवलिंग पर स्वच्छ जल चढ़ाने मात्र से ही उन्हें प्रसन्न किया जा सकता है। इसके अलावा शिव जी को बेलपत्र और धतूरा भी प्रिय है।
आज हम इस पोस्ट में उन्हीं भगवान शिव के कुछ शक्तिशाली अवतारों का वर्णन करेंगे और आपसे प्रार्थना करेंगे कि इस पोस्ट को अंत तक अवश्य देखें जिससे कि आपको संपूर्ण जानकारी प्राप्त हो सके। साथ में ध्यान देने योग्य बात ये है कि इसमें हमने शिव जी के किसी भी अवतार की, किसी दूसरे अवतार से किसी प्रकार से तुलना नहीं की है।
वीरभद्र - शिव जी के ये वीरभद्र अवतार बहुत ही शक्तिशाली तथा अत्याधिक रौद्र रूप वाले अवतार हैं। कथाओं के अनुसार ब्रह्मा जी के कहने पर राजा दक्ष ने अपनी पुत्री सती का विवाह शिव जी से कराया लेकिन राजा दक्ष शिव जी को पसंद नहीं करते थे। एक दिन राजा दक्ष ने एक यज्ञ का आयोजन किया जिसमें उसने सभी देवी देवताओं, ऋषि-मुनियों को बुलाया पर महादेव और सती को निमंत्रण नहीं दिया। इस बात से माता सती को बहुत दुख हुआ। लेकिन फिर भी सती माता अपने पिता दक्ष के यहाँ होने वाले यज्ञ में बिना निमंत्रण के पहुँच गई। उन्हें वहाँ देखकर राजा दक्ष ने सती माता को और उनके पति महादेव का अपमान किया। तब अपने पति का अपमान होते देख सती मां को क्रोध आ गया और उन्होंने अग्नि में समा कर अपने प्राणों की आहुति दे दी। जब इस बात का पता शिव जी को चला तो उन्होंने क्रोध में आकर अपनी जटा से एक बाल निकाल कर पत्थर पर फेंक कर मारा जिससे उस बाल के 2 टुकड़े हो गए जिनमें एक टुकड़े से वीरभद्र और दूसरे से महाकाली का जन्म हुआ। तब शिव जी के कहने पर वीर भद्र ने राजा दक्ष के यहाँ जाकर उनका यज्ञ विध्वंस किया और दक्ष का सिर काट दिया फिर बाद में अन्य देवताओं के कहने पर शिव जी ने राजा दक्ष के सिर के स्थान पर बकरे का सिर लगाया।
भैरव अवतार - शिव पुराण के श्री शत रुद्र संहिता के आठवें अध्याय के अनुसार एक समय की बात है जब शिव जी की माया से प्रभावित होकर ब्रह्मा जी और विष्णु जी के बीच अपनी अपनी अपनी श्रेष्ठता को लेकर बहस होने लगी। वे दोनों ही अपने आप को दूसरे से श्रेष्ठ बताने लगे और आपस में झगड़ने लगे। उनका विवाद खत्म होने के नाम ही नहीं ले रहा था। तभी वहाँ विशाल ज्योति उत्पन्न हुयी जिसका ना कोई आरंभ था और ना अंत। तभी वहाँ एक आकृति उत्पन्न हुयी इस आकृति को देखकर ब्रह्मा जी बोले कि तुम मेरे ही पुत्र हो। मैंने ही तुम्हारा नाम रुद्र रखा है। तब इस बात से शिव जी क्रोधित हो गए और उनके क्रोध से एक भयानक आकृति उत्पन्न हुयी। जिसे देखकर शिव जी ने कहा - हे काल राज तुम काल के समान हो इसलिए तुम काल भैरव नाम से जाने जाओगे। तुम ब्रह्मा पर शासन करो और उनके अहंकार को दूर करो। तब शिव जी की आज्ञा पाकर भैरव जी ने बाईं अंगुली के अग्रभाग से ब्रह्मा जी का पांचवां सिर काट दिया जिससे काल भैरव जी को ब्रह्महत्या का पाप भी लगा और उससे मुक्ति पाने के लिए वे शिव जी की आज्ञानुसार काशी में जाकर बस गए।
अश्वत्थामा - पांडवों के गुरु द्रोणाचार्य बहुत ही शक्तिशाली, महान व कुशल धनुर्धर व अस्त्र शस्त्रों के ज्ञाता थे। उन्हें धनुर्वेद तथा समस्त वेदों का ज्ञान भी था। पुत्र प्राप्ति की ईच्छा से गुरु द्रोण ने भगवान शिव की उपासना की तब शिव जी ने उनको तपस्या से प्रसन्न होकर उन्हें अपने अंश से पुत्र उत्पन्न होने का वरदान दिया जिससे गुरु द्रोण को अश्वत्थामा की प्राप्ति हुयी। अश्वत्थामा भी अपने पिता की तरह ही बहुत ही शक्तिशाली और महापराक्रमी योद्धा थे। उन्हें कई सारे शक्तिशाली दिव्यास्त्रों का भी ज्ञान था । महाभारत के युद्ध में अश्वत्थामा ने सक्रिय रूप से भाग लिया था।
शरभ अवतार- भगवान शिव का ये अवतार भी बहुत ही शक्तिशाली अवतार था। शिव पुराण के श्री शत रुद्र संहिता के अनुसार विष्णु जी ने अपने भक्त प्रह्लाद की उसके पिता असुर राज हिरण्यकश्यप से रक्षा करने के लिए नरसिंह अवतार लिया और अपने नाखूनों की सहायता से हिरण्यकश्यप का पेट फाड़ दिया तथा उसका वध कर दिया लेकिन फिर भी उनका क्रोध शांत नहीं हुआ। वे सृष्टि में इधर उधर विचरण करने लगे और विनाश करने लगे। तब उनके इस रूप से भयभीत होकर सभी देवता शिव जी के पास पहुंचे। फिर शिव जी ने नरसिंह अवतार से भी भयानक और बड़ा शरभ अवतार लिया। उनका ये अवतार पशु के शरीर, नुकीली चोंच व पंजों और दो बड़े पंखों के साथ बहुत ही भयानक जान पड़ता था, उनके सहस्रों भुजाएं थी। उनका ये अवतार विष्णु जी के नरसिंह अवतार से काफी गुना शक्तिशाली था। वे नरसिंह भगवान को आकाश में लेकर उड़ने लगे। और उन्हें चोंच व पंजों से नरसिंह जी को चोट पहुंचाना शुरू कर दिया। तब उनसे भयभीत होकर नरसिंह जी ने उनसे माफी मांगी और उनका क्रोध भी शांत हुआ।
हनुमान जी - भगवान राम के अनन्य भक्त और पवन पुत्र हनुमान जी का नाम भला कौन नहीं जानता होगा। वीर बजरंग बली जिनको हम हनुमान जी के नाम से भी जानते हैं अत्याधिक शक्तिशाली और प्रखर बुद्धि वाले हैं। रामायण में हनुमान जी का बहुत ही सुंदर वर्णन देखने को मिलता है। हनुमान जी बचपन से ही अत्याधिक शक्तिशाली थे। वे बचपन में ही सूर्य को फल समझकर खाने चल दिये थे। तब इंद्र ने इनको रोकने की कोशिश की लेकिन हनुमान जी नहीं माने इसके बाद इंद्र ने इन पर वज्र का प्रहर किया जिससे ये मूर्छित हो गए तब हनुमान की यह दशा देखकर वायुदेव को क्रोध आया और उन्होंने उसी क्षण अपनी गति रोक दिया। इससे संसार का कोई भी प्राणी साँस न और सब पीड़ा से तड़पने लगे। तब सभी देवताओं के आह्वाहन पर ब्रह्मा जी ने हनुमान जी को फिर से ठीक कर दिया और पवन देव ने भी अपनी वायु का संचार फिर से करना प्रारंभ कर दिया। इसके बाद सभी देवताओं ने शिव जी के अवतार हनुमान जी को आशिर्वाद दिया और कई वरदान भी दिए। रामायण में हनुमान जी ने अपनी असीम शक्तियों का प्रदर्शन कई बार किया उन्होंने रावण के पुत्र अक्षय कुमार का वध किया, मेघनाद के साथ होने वाले युद्ध में उसे भी मायावी शक्तियों का प्रयोग करने को मजबूर कर दिया, हनुमान जी इतने शक्तिशाली थे कि उन्होंने मेघनाद के साथ होने वाले युद्ध में मेघनाद द्वारा ब्रह्मास्त्र का प्रयोग करने पर भी हनुमान जी ने बिना भय के ब्रह्मास्त्र का मान रखते हुए बिना किसी परेशानी के उसका प्रहार भी सह लिया, हनुमान जी ने लंका का दहन किया और रावण जैसे शक्तिशाली राक्षस को एक ही घूंसे के प्रहार से मूर्च्छित भी कर दिया। हनुमान जी की शक्तियों की कोई सीमा नहीं थी। क्यूँकी उन्हें देवताओं से प्राप्त वरदान की वज़ह से वो अजय व अमर हैं और उन को किसी भी अस्त्र या शस्त्र से हानि नहीं पहुंचाई जा सकती हैं। वो अष्ट सिद्धि एवं नव निधि के दाता भी हैं और उनकी जो सबसे बड़ी शक्ति है वो है प्रभु श्री राम के नाम की शक्ति।
तो दोस्तों ये हैं भगवान शिव जी के शक्तिशाली अवतार, वेसे तो ये सभी अवतार शक्तिशाली हैं पर फिर भी भगवान शिव के सभी अवतारों में हनुमान जी सबसे अधिक शक्तिशाली माने जाते हैं क्यूंकि इन्होंने शिव जी के साथ होने वाले युद्ध में अपने युद्घ कौशल से शिव जी को भी प्रभावित किया जिससे प्रसन्न हो शिव जी ने इनको आशीर्वाद भी दिया।
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