ब्रह्मा जी के सबसे शक्तिशाली अस्त्र-शस्त्र- ब्रह्मास्त्र । Brahma ji ke sabse shaktishali astra-shastra - Brahmastra. Most powerful weapon of lord Brahma.
ब्रह्मा जी के सबसे शक्तिशाली अस्त्र-शस्त्र (Brahma ji ke sabse shaktishali astra-shastra)-
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powerful astra like brahmastra, brahmshirastra of lord Brahma ji |
हमारे सभी सनातनी साथियों को नमस्कार आपका स्वागत है हमारे सनातनी जानकारी वैबसाइट पर । जैसा कि हम सभी जानते हैं कि हमारे सनातन धर्म में त्रिदेवों का वर्णन मिलता है। ब्रह्मा, विष्णु और महेश जी को त्रिदेव के नाम से जाना जाता है। वेदों, पुराणों और ग्रंथों में दो गई जानकारी के अनुसार ब्रह्मा जी संपूर्ण सृष्टि के निर्माता, विष्णु जी पालनकर्ता और शिव जी विध्वंसकर्ता है। सम्पूर्ण सृष्टि के सफल रूप से संचालन में त्रिदेवों की महत्वपूर्ण भूमिका मिलती है।
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Tridev - brahma ji, vishnu ji, shiv ji |
त्रिदेव समस्त देवों में सर्वश्रेष्ठ हैं। इनकी तपस्या करने से कई सारे ऋषियों ने, मुनियों ने, मानवों ने, असुरों ने वरदान और शक्तिशाली अस्त्र शस्त्र प्राप्त किए। आज हम त्रिदवों के अस्त्र शस्त्र की शृंखला में इन्हीं त्रिदेवों में से एक ब्रह्मा जी के शक्तिशाली अस्त्रों और शस्त्रों का वर्णन इस पोस्ट में करेंगे ।
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Rishi-muni, asur, daanav, manav tapasya karte huye |
अब बात करते हैं ब्रह्मा जी के अस्त्रों और शस्त्रों के बारे में।
ब्रह्मा जी के दिव्यास्त्र (Brahma ji ke divyastra)-

Celestial weapon of Brahma ji

जैसा कि आप सभी जानते होंगे कि ब्रह्मा जी सृष्टि के निर्माण करने का कार्य करते हैं इसलिए इन्हें सृष्टि का सृजन कर्ता या निर्माण कर्ता कहा जाता है। ब्रह्मा जी के चार मुख और 4 हाथ हैं । ब्रह्मा जी सृजन करने वाले हैं इसलिए इन्हें किसी अस्त्र या शस्त्र की जरूरत नहीं होती पर फिर भी समय समय पर राक्षसों और असुरों के संहार के लिए ब्रह्मा जी ने कई दिव्यास्त्रों का निर्माण किया। जो कि कुछ इस प्रकार हैं।
ब्रह्मास्त्र (Brahmastra) -
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Brahmastra
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ब्रह्मा जी के सबसे शक्तिशाली अस्त्रों में ब्रह्मास्त्र का वर्णन आता है। यह अत्याधिक शक्तिशाली दिव्यास्त्र है । पौराणिक कथाओं के अनुसार ब्रह्मास्त्र की मारक क्षमता अचूक थी और इसका प्रयोग करने पर ये लक्ष्य को खत्म करके ही शांत होता है। महाभारत और रामायण में इसका प्रयोग कई बार देखने को मिलता है। महाभारत में ये अस्त्र अर्जुन, गुरु द्रोण, अश्वत्थामा, कर्ण, भीष्म पितामह आदि योद्धाओं के पास था वहीं रामायण की बात करें तो रामायण में ये दिव्यास्त्र श्री राम, लक्ष्मण, रावण, मेघनाद आदि योद्धाओं के पास था ।
ब्रह्मशिर अस्त्र (Brahmshirastra) -
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BrahmShira Astra
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ये अस्त्र ब्रह्मास्त्र से 4 गुना अधिक शक्तिशाली दिव्यास्त्र है। ये अस्त्र ब्रह्मा जी के 4 मुखों का प्रतिनिधित्व करता है। इस अस्त्र के प्रयोग से बहुत ही भयंकर मात्रा में विध्वंस होता था।बताया जाता है कि इस अस्त्र की काट ब्रह्म शिर अस्त्र से ही सम्भव है और जब दो ब्रह्म शिर अस्त्र टकराते हैं तो उनसे उत्पन्न ऊष्मा इतना अधिक होती है कि वहाँ लगभग 4000 बर्षों तक अकाल बना रहता है और एक पत्ता तक नहीं उगता। इसके किसी योद्धा के पास होने का कोई सटीक वर्णन नहीं मिलता है लेकिन कुछ लोग द्रोण, अर्जुन और अश्वथामा के पास ब्रह्मशिर अस्त्र के होने की बात कहते हैं। कुछ स्थान पर ये भी वर्णित है कि अश्वथामा और अर्जुन के अंतिम युद्घ के समय अश्वत्थामा ने ब्रह्मशिर अस्त्र का ही प्रयोग किया था।जिसकी काट के रूप में अर्जुन ने भी इसी अस्त्र का प्रयोग किया लेकिन इनके टकराव से होने वाले विनाश को रोकने हेतु देवर्षि नारद और महर्षि वेव्यास ने उस युद्ध को रुकवा दिया। तब अर्जुन ने तो ब्रह्म शिर अस्त्र वापस ले लिया किन्तु अश्वत्थामा को वापिस लेना नहीं आता था इसलिए वो इसे वापिस ना ले सका। तब उसने उस ब्रह्म शिर अस्त्र का प्रयोग अभिमन्यु की पत्नी उत्तरा के गर्भ पर किया जिससे उसे एक मृत पुत्र प्राप्त हुआ। बाद में श्रीकृष्ण ने उसे जीवनदान दिया और वही परीक्षित के नाम से प्रसिद्ध हुआ। हालाँकि अधिकतर स्थान पर इस कथा में ब्रह्मास्त्र का ही वर्णन मिलता है।
शक्तिशाली खडग असी (shaktishali khadag Asi)-

Khadag Asi

ब्रह्मा जी के इस शक्तिशाली खडग असी का वर्णन महाभारत के शांति पर्व के 166 वें अध्याय में मिलता है। ब्रह्मा जी ने इस शक्तिशाली खडग असी का निर्माण दैत्यों के संहार के लिए किया था । ब्रह्मा जी ने इस शक्तिशाली खडग को सबसे पहले भगवान रुद्र को दिया था उसके बाद भगवान रुद्र ने विष्णु जी को दिया था। महाभारत में यह शक्तिशाली खड़ग गुरु द्रोण के पास था ।
ब्रह्मदण्ड अस्त्र (Brahmdand Astra) -

Brahmdand Astra

पौराणिक कथाओं के अनुसार ब्रह्म दण्ड का प्रयोग ब्रह्मास्त्र, ब्रह्मशिर अस्त्र जैसे शक्तिशाली दिव्यास्त्रों से बचाव करने के लिए किया जाता था। इसका वर्णन विश्वामित्र और गुरु वशिष्ठ के युद्ध में मिलता है। जब विश्वामित्र ने गुरु वसिष्ठ पर ब्रह्मास्त्र और ब्रह्म शिर अस्त्र का प्रयोग किया तो ऋषि वशिष्ठ जी ने ब्रह्म दण्ड का प्रयोग कर ब्रह्मास्त्र और ब्रह्म शिर अस्त्र को निष्फल कर दिया था। इस कथा के अनुसार ज्ञात होता है कि ब्रह्म दण्ड कोई अस्त्र या शस्त्र नहीं है ये एक साधारण दण्ड या छड़ है जिसे पौराणिक काल में ऋषि मुनि धारण करते थे। इसका प्रयोग करके ऋषि मुनि अपने ब्रह्म तेज को इसमे केंद्रित कर एक रक्षात्मक कवच का निर्माण करते थे। जो कि ब्रह्मास्त्र और ब्रह्म शिर अस्त्र जैसे शक्तिशाली दिव्यास्त्रों को विफल कर देता था। लेकिन कुछ कुछ जगह इसका वर्णन दिव्यास्त्र के रूप में करते है। और यह भी बताया जाता है कि यह ब्रह्मा जी का सबसे शक्तिशाली दिव्यास्त्र है जो ब्रह्मा जी के पांच सिरों को अपनी नोक के रूप में प्रकट करता है और यह एक साथ कई आकाश गंगाओं को नष्ट करने की सामर्थ्य अपने अंदर रखता है।
तो साथियों ये थे ब्रह्मा जी के शक्तिशाली अस्त्रों और शस्त्रों का वर्णन जिनसे ये पता चलता है कि ब्रह्मा जी ने भी कई शक्तिशाली अस्त्रों और शस्त्रों का निर्माण किया जिनके प्रयोग से ब्रह्मांड स्टार पर विध्वंस हो सकता था ।
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