शिव जी के ऐसे शक्तिशाली अस्त्र-शस्त्र और दिव्यास्त्र जिनके प्रयोग से शत्रुओं का अस्तित्व समाप्त हो सकता है। Shiv ji ke astra-shastra aur divyastra. powerful weapon of Lord shiva
शिव जी के शक्तिशाली अस्त्र-शस्त्र और दिव्यास्त्र ( Shiv ji ke astra-shastra aur divyastra)

Celestial and Powerful weapon of Lord Shiva

नमस्कार साथियों आप का स्वागत है हमरे ब्लोगपोस्ट सनातनी जानकारी पर। जैसा कि हम सभी जानते हैं कि हमारे सनातन धर्म में सभी देवों में सर्व श्रेष्ठ त्रिदेवों का वर्णन मिलता है। ब्रह्मा, विष्णु और महेश जी को एक साथ त्रिदेव के नाम से जाना जाता है। वेदों, पुराणों और ग्रंथों में दी गई जानकारी के अनुसार ब्रह्मा जी संपूर्ण सृष्टि के निर्माता, विष्णु जी पालनकर्ता और शिव जी विध्वंसकर्ता है। सम्पूर्ण सृष्टि के सफल रूप से संचालन में त्रिदेवों की अत्याधिक महत्वपूर्ण भूमिका मिलती है।
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Srijankarta Brahmaji, Paalankarta Vishnu ji, vidhwanskarta Shiv ji |
कई सारे ऋषियों, मुनियों देवी, देवताओं, मनुष्यों, दैत्यों, असुरों
आदि ने इन्हों त्रिदेवों से कई वरदान और शक्तिशाली अस्त्र शस्त्र प्राप्त किए ।
पिछली वीडियो में हमने ब्रह्मा जी के शक्तिशाली दिव्यास्त्रों का वर्णन किया था अब
इस वीडियो में हम शिव जी के शक्तिशाली अस्त्रों और शस्त्रों का वर्णन करेंगे । वही
भगवान शिव जो बहुत ही सौम्य होने के कारण भोले बाबा के नाम से जाने जाते हैं और
राक्षसों में भय उत्पन्न करने के कारण रुद्र भी कहलाते हैं।
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Rishi-Muni, Danav, Asur, Manav aadi tapasya karte huye |
शिव पुराण में शिव जी की महिमा का सम्पूर्ण वर्णन बहुत ही अच्छे से किया गया है। बताया जाता है कि शिव जी को प्रसन्न करना अत्याधिक सहज है। हमारे भोले बाबा तो इतने भोले हैं कि इनके शिवलिंग पर स्वच्छ जल चढ़ाने मात्र से ही उन्हें प्रसन्न किया जा सकता है। इसके अलावा शिव जी को बेलपत्र और धतूरा भी प्रिय है।
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Shiv ji ko prasann karne ke liye Shivling par jal abhishek karte huye |
शिव जी के अत्यधिक शक्तिशाली और घातक दिव्यास्त्र (Shiv ji ke Shaktishali or powerful divyatsra)-

Shiv ji ke astra-shastra
अब हम बात करते हैं देवों
के देव महादेव के शक्तिशाली अस्त्रों और
शस्त्रों के बारे में-

रौद्रास्त्र -

raudrastra

ये महादेव का महाविध्वंसक अस्त्र था। जब इसका उपयोग किया जाता है, तो यह ग्यारह रुद्रों में से एक रुद्र की शक्ति का आह्वान करता है और लक्ष्य को नष्ट कर देता है। इस दिव्यास्त्र का उल्लेख महाभारत के वन पर्व अध्याय में मिलता है, जिसमें अर्जुन ने हिरण्यपुर नाम से विख्यात सुन्दर नगर के, पौलोम और कालिकेय दानवों का नाश किया था।
महेश्वर अस्त्र -

Maheshwar Astra

भगवान शिव का ये दिव्यास्त्र भी अत्याधिक शक्तिशाली था। इसमें शिव जी की तीसरी आंख की शक्ति शामिल है । इस अस्त्र से शिव जी की तीसरी नेत्र से उत्पन्न क्रोध अग्नि के कुछ अंश के बराबर की तेज़ उग्र किरण निकलती है जो दिव्य प्राणियों को भी पूरी तरह से राख में बदल सकती है। इसमें संपूर्ण सृष्टि को भस्म करने की शक्ति है। शिव पुराण के विद्येश्वरसंहिता के अनुसार ब्रह्मा जी और विष्णु जी के बीच होने वाले युद्घ में में महेश्वर अस्त्र का वर्णन मिलता है।
चंद्रहास तलवार -

Chandra-haas Talwar

भगवान शिव की शक्तिशाली तलवार चंद्र हास तलवार है । यह शक्तिशाली तलवार भगवान शिव ने रावण की भक्ति देखकर प्रसन्न होकर रावण को दी और साथ में ये चेतावनी भी दी यदि इस तलवार का गलत उपयोग किया तो ये तलवार वापिस मेरे पास आ जाएगी। सीता हरण के समय रावण ने इस तलवार का प्रयोग जटायु पर किया और उनके पंख काट दिए । रावण के इस गलत कार्य के बाद ये तलवार रावण से वापिस शिव जी के पास आ गयी ।
पाशुपतास्त्र -

Pashupatastra

पाशुपतास्त्र को भगवान शिव जी का सबसे शक्तिशाली दिव्यास्त्र बताया जाता है। इस अस्त्र की सबसे खास विशेषता ये थी कि इसे को मन, वचन , नेत्र और धनुष से चलाया जा सकता था। तीनों लोकों में कोई भी ऐसा जीव नहीं है जो इससे ना मर सके। रामायण में ये दिव्यास्त्र मेघनाद के पास था वहीं महाभारत की बात करें तो महाभारत में पाशुपतास्त्र शिव जी ने अर्जुन को दिया था। जब शिव जी ने ये अस्त्र अर्जुन को दिया तब उन्होंने कहा कि इस अस्त्र का प्रयोग किसी कमजोर इंसान पर भूलकर भी नहीं करना ऐसा करने पर ये चलाने वाले को और संपूर्ण संसार को भस्म कर सकता है।
त्रिशूल -

Trishul

त्रिशूल भगवान शिव जी का सबसे शक्तिशाली शस्त्र है जिसे महादेव सदैव अपने हाथ में धारण किए रहते है। यह तीन गुण सत्व, रजस और तमस का परिचायक है, इसके साथ साथ त्रिशूल तीनों कालों भूत, भविष्य और वर्तमान को भी प्रदर्शित करता है। शिव जी के द्वारा प्रयोग किए जाने पर ये समस्त ब्रह्मांड का नाश कर सकता है। यह शिव जी का अत्याधिक विनाशकारी शस्त्र है इसका प्रयोग करने पर कोई भी देव या दानव नहीं बच सकता था। यह इतना शक्तिशाली है कि इसका प्रयोग करने पर यह स्वयं भगवान शिव और माता पार्वती अर्थात् देवी शक्ति को छोड़कर किसी भी चीज को नष्ट कर सकता है।
पिनाक धनुष -

Pinak

पिनाक धनुष भगवान शिव का सबसे शक्तिशाली धनुष है। वाल्मीकि रामायण के अनुसार यह धनुष इतना शक्तिशाली है कि इसकी ध्वनि मात्र से ही पर्वत हिलने लगते थे, शत्रुओं में भय उत्पन्न होने लगता था, पृथ्वी डोलने लगती थी। रामायण में सीता स्वयंवर के समय प्रभु श्री राम ने इसी धनुष को तोड़ कर सीता माता के साथ विवाह किया था।
परशु -

Parashu

परशु भगवान शिव जी का शक्तिशाली शस्त्र है जिसे उन्होंने विष्णु जी के अवतार परशुराम जी को दिया था।
तो मित्रों ये थे भगवान शिव जी के शक्तिशाली दिव्यास्त्र । यदि आप को ये पोस्ट पसंद आयी हो तो कृपया करके हमारे सनातनी जानकारी परिवार का हिस्सा बनिए और इंस्टाग्राम और फेसबुक पर भी जुड़िये।
जय महाकाल ❤️
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