महाभारत में सबसे शक्तिशाली योद्धा कौन थे। महाभारत के सबसे शक्तिशाली योद्धा कौन थे । Mahabharat samay (kaal) ke sabse shaktishali yoddha kon the.

 महाभारत काल के सबसे अधिक शक्तिशाली योद्धा जिनकी कोई तुलना नहीं थी।( Mahabharat kaal ke sabse adhik shaktishali yoddha jinke paas kai divyastra the)-

sabse adhik shaktishali divyatsra wale yoddha
sabse adhik aur shaktishali divyastra wale yoddha


 नमस्कार मित्रों जैसा कि हम सभी जानते हैं कि हमारे पौराणिक ग्रंथों में कई सारे दिव्यास्त्रों का वर्णन मिलता है। समय - समय पर राक्षसों और असुरों के संहार के लिए देवी - देवताओं ने कई अवतार लिए और कई सारे दिव्यास्त्रों का निर्माण भी हुआ जिनके प्रयोग से ना केवल दानव या असुर ब्लकि समस्त ब्रह्मांड का विध्वंस किया जा सकता था। इनमें से कुछ शक्तिशाली दिव्यास्त्रों का वर्णन हमें महाभारत में भी देखने को मिलता है। ये बात तो आप सभी जानते ही होंगे कि महाभारत का युद्ध हमारे सनातन धर्म के इतिहास का सबसे बड़ा युद्ध है जिसमें लाखों की संख्या में लोग मारे गए थे। कौरवों और पांडवों के बीच होने वाले इस युद्ध में कई सारे दिव्यास्त्रों का प्रयोग देखने को मिलता है। आज हम इस वीडियो में महाभारत काल के योद्धाओं जैसे अर्जुन, कर्ण, भीष्म पितामह आदि के दिव्यास्त्रों के बारे में बताने वाले हैं। जिससे आपको ये भी ज्ञात हो सकेगा कि महाभारत काल में किसके पास सबसे अधिक शक्तिशाली दिव्यास्त्र थे। ध्यान देने योग्य बात ये भी है कि केवल शक्तिशाली दिव्यास्त्र होने से ही किसी भी योद्धा को शक्तिशाली नहीं कहा जा सकता है क्यूंकि एक अच्छे धनुर्धर के पास शक्तिशाली दिव्यास्त्र होने के साथ साथ उनका सम्पूर्ण ज्ञान और उनको सही से प्रयोग करने की विधि और उसकी समस्त जानकारी का होना आवश्यक है। 

Mahabharat kaal ke divyastra
Mahabharat kaal ke divyuastra


 

अब हम पोस्ट में आगे बढ़ते हैं और जानते हैं कि महाभारत में योद्धाओं के पास कौन कौन से शक्तिशाली divyastra थे । वीडियो देखते समय ये भी याद रखिए कि यहाँ हमने इस सूची में किसी भी को योद्धा को कम या अधिक शक्तिशाली नहीं बताया है ये सूची केवल योद्धाओं के शक्तिशाली दिव्यास्त्रों की जानकारी देने के लिए बनाई गई है।


अर्जुन - 

arjun ke divyastra- Sammohan astra, anjalika astra, parvatastra
Sammohan astra, anjalika astra, parvatastra

Arjun ke divyastra- indrastra ,vajrastra
indrastra ,vajrastra

arjun ke Brahmastra, brahmshirastra
arjun ke Brahmastra, brahmshirastra

arjun ke divyastra- varun astra, naagastra, naagpash astra
varun astra, naagastra, naagpash astra

Gandeev Dhanush, Akshay tarkas
Gandeev Dhanush, Akshay tarkas

arjun ke divyastra- Garud astra, bhaum astra, varun pash
Garud astra, bhaum astra, varun pash

 

महाभारत में सबसे अधिक दिव्यास्त्रों का वर्णन अर्जुन के पास ही मिलता है। अर्जुन के पास लगभग सभी प्रकार के दिव्यास्त्र थे। उनके पास शक्तिशाली गांडीव धनुष, अक्षय तरकश जिसके बाण कभी खत्म नहीं होते थे, एक दिव्य रथ था। उनके पास ब्रह्मा जी के ब्रह्मास्त्र और ब्रह्म शिर अस्त्र, शिव जी के पाशुपात अस्त्र, रौद्र अस्त्र, अग्नि देव के आग्नेयास्त्र, इंद्र देव के इंद्रास्त्र, वज्र अस्त्र आदि शक्तिशाली दिव्यास्त्र थे इनके अलावा अर्जुन के पास सम्मोहन अस्त्र, अंजलिका अस्त्र, पर्वतास्त्र, वरुण अस्त्र,  नाग अस्त्र, नाग पाश अस्त्र, गरुड़ अस्त्र, भौम अस्त्र और वरुण देव का वरुण पाश भी था इसके साथ साथ  मृत्यु के देवता यम राज ने स्वयं अर्जुन को यम दण्ड अस्त्र का प्रयोग करने की विधि भी बतायी थी। बताया जाता है कि महाभारत में सभी योद्धाओं में सबसे अधिक दिव्यास्त्र अर्जुन के ही पास थे जिनमे से अर्जुन ने केवल 30 प्रतिशत दिव्यास्त्र का प्रयोग ही युद्ध के दौरान किया था।


पितामह भीष्म -

pitamaah bhishm ke divyastra- aagney astra, brahmastra, brahmshirastra
aagney astra, brahmastra, brahmshirastra

bhishm ke sambodhan astra, vaayavy astra, yam astra
sambodhan astra, vaayavy astra, yam astra

 
 

कौरवों की और से युद्ध लड़ने वाले पितामह भीष्म बहुत ही शक्तिशाली योद्धा थे । उन्हें इच्छा मृत्यु का वरदान भी प्राप्त था। पितामह भीष्म इतने शक्तिशाली थे कि महाभारत के युद्ध में उनको परास्त करने का उपाय जानने के लिए अर्जुन को स्वयं उनके पास ही जाना पड़ा। पितामह भीष्म के पास आग्नेयास्त्र, ब्रह्मास्त्र, ब्रह्म शिर अस्त्र, त्वाष्ट्र, सम्मोहन अस्त्र, प्रस्वापास्त्र, संबोधन अस्त्र, वायव्य अस्त्र, यम अस्त्र आदि शक्तिशाली दिव्यास्त्र थे । अपने पिता से उन्हें ईच्छा मृत्यु का भी वरदान प्राप्त हुआ था जिससे उन्हें मृत्यु का भय नहीं था और ये तो आप सभी जानते ही हैं कि जिसे मृत्यु का भय ना हो और धनुर्विद्या का अच्छा ज्ञान हो तो वो शक्तिशाली योद्धा बन ही जाएगा।

गुरु द्रोणाचार्य -

dronachary ke brahmastra, brahmshirastra
brahmastra, brahmshirastra
guru dron ke narayan astra
narayan astra

guru dronacharya ke chakravyuh
chakravyuh


 
 

महाभारत में पांडवों के और कौरवों के गुरु द्रोणाचार्य अत्याधिक शक्तिशाली योद्धा और महान धनुर्धर थे। इन्होंने दिव्यास्त्रों का ज्ञान भगवान विष्णु जी के अवतार परशुराम जी से लिया। गुरु द्रोणाचार्य को ब्रह्मास्त्र, ब्रह्म शिरास्त्र, आग्नेय अस्त्र, वायव्य अस्त्र, नाग अस्त्र, नागपाश अस्त्र आदि का ज्ञान था। इनके पास भगवान विष्णु जी के सबसे शक्तिशाली अस्त्रों में से एक अस्त्र नारायण अस्त्र ब्रह्मा जी का शक्तिशाली खड्ग असी भी था। इनको व्यूह रचना का भी बहुत ही अच्छा ज्ञान था।

अश्वत्थामा -

ashwatthama ke raudra astra, garud astra
raudra astra, garud astra

 

 महाभारत काल के सबसे महान धनुर्धरों में से एक अश्वत्थामा गुरु द्रोणाचार्य के पुत्र थे। अश्वत्थामा के पास वो सभी दिव्यास्त्र थे जो उनके पिता गुरु द्रोण के पास थे ।
अश्वत्थामा के पास ब्रह्मास्त्र, ब्रह्म शीरा अस्त्र, नारायण अस्त्र, आग्नेय अस्त्र, वायव्य अस्त्र, नाग अस्त्र, नागपाश अस्त्र, रौद्र अस्त्र, गरुड़ अस्त्र आदि शक्तिशाली दिव्यास्त्र थे ।

कर्ण -

karn ko brahma ji se brahmastra,parshuram ji se bhargav astra
brahmastra, bhargav astra
karn ke garud astra, ashwswn naag rupi baan, parjany astra
garud astra, ashwswn naag rupi baan, parjany astra


karn ko indra dev se prapt vasvi shakti
vaasvi shakti


 
 

माता कुंती के सबसे बड़े पुत्र कर्ण को कौन नहीं जानता होगा? सूर्य पुत्र कर्ण ने बचपन से ही कई सारे संघर्षों का सामना किया वो महाभारत काव्य के महानायक हैं। कर्ण साहसिक आत्मबल से युक्त एक ऐसा महानायक था जो अपने जीवन की प्रतिकूल स्थितियों से जूझता रहा।कर्ण ने अपने दिव्यास्त्रों की शिक्षा गुरु द्रोण और परशुराम जी से प्राप्त की। रंग भूमि में जो करतब अर्जुन ने दिखाए थे वो सभी करतब कर्ण ने भी किए थे। कर्ण को परशुराम जी से ब्रह्मास्त्र और भार्गव अस्त्र प्राप्त हुए थे। कर्ण को बचपन से ही सूर्य देव के द्वारा दिए हुए कवच और कुंडल प्राप्त थे जो कि इंद्र देव द्वारा मांगे जाने पर कर्ण ने उन्हें दान में दिए जिससे प्रसन्न होकर इंद्र ने कर्ण को वासवी शक्ति प्रदान की। इनके अतिरिक्त कर्ण के पास शक्तिशाली विजय धनुष भी था। कर्ण के पास आग्नेय अस्त्र, वायव्य अस्त्र, गरुड़ अस्त्र, अश्व सेन नाग रूपी बाण, पर्जन्य अस्त्र आदि शक्तिशाली दिव्यास्त्र भी थे। महाभारत में अर्जुन भले ही कर्ण से अच्छे धनुर्धर हो लेकिन ज्यादातर लोगों को हमेशा से कर्ण ही प्रिय और अगर कर्ण के प्रशंसकों की बात की जाए तो वो इतने हैं कि उनसे एक राज्य तैयार हो जाए ।

श्री कृष्ण - 

krishn ji ka sudarshan chakra
sudarshan chakra

krishn ji ka saarang dhanush
saarang dhansuh

krishn ji ki komodaki gada
komodaki gada

 

सम्पूर्ण महाभारत में सबसे अधिक शक्तिशाली योद्धा की बात करें तो वो निःसंदेह श्री कृष्णा जी ही हैं। वो स्वयं भगवान हैं। ब्रह्मांड का कोई भी ऐसा अस्त्र और शस्त्र नहीं है जिसके बारे में श्री कृष्ण जी को ना पता हो। श्री कृष्ण जी को सभी प्रकार के दिव्यास्त्रों का ज्ञान है । महाभारत के युद्ध में प्रयुक्त होने वाले सभी दिव्यास्त्रों को काटने की सामर्थ्य सिर्फ श्री कृष्ण जी में ही थी। उन्होंने बिना अस्त्र का प्रयोग किए ही अर्जुन को विजय दिलाई और कई बार विध्वंसकारी दिव्यास्त्रों से अर्जुन की और पांडव सेना की रक्षा भी की इसके साथ साथ श्री कृष्ण जी सभी प्रकार की युद्घ कलाओं में पारंगत भी हैं। वैसे तो श्री कृष्ण जी को सभी प्रकार के दिव्यास्त्रों का ज्ञान था पर फिर भी कृष्णा जी जो दिव्यास्त्र मुख्यतः धारण करते हैं वो हैं उनके शत्रुओं में भय उत्पन्न करने वाला चक्र जिसका नाम है सुदर्शन चक्र, सारंग नाम का धनुष  तथा  कौमौदकी नाम की गदा।


तो मित्रों ये थी सम्पूर्ण जानकारी जिससे महाभारत के युद्ध में भाग लेने वाले शक्तिशाली योद्धाओं के शक्तिशाली दिव्यास्त्रों का परिचय मिलता है। जैसा कि हम पहले ही बता चुके हैं कि ये पोस्टसिर्फ शक्तिशाली दिव्यास्त्रों के बारे में जानकारी देने के लिए बनाई गयी है यहां किसी भी योद्धा को कम या अधिक शक्तिशाली के क्रम में नहीं बताया गया है। 

इसके बारे मेन और अधिक जानने के लिए ये विडियो अवश्य देखें।



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जय श्री राधे कृष्ण ।

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