दुनिया के सबसे शक्तिशाली असुर जिनका भय सम्पूर्ण लोकों मे व्याप्त था। duniya ke sabse shaktishali asur, daitya, rakshas. most powerful demons in india.

 दुनिया के सबसे शक्तिशाली असुर-

 
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सनातन धर्म का इतिहास अपने आप में कई सारे ऐसे रहस्मय समेटे हुए है जिसके बारे में हमारे ऋषि - मुनियों ने सदियों पहले ही बता दिया था।  सनातन धर्म के पौराणिक ग्रंथों के इतिहास में कुछ ऐसे शक्तिशाली असुरों का वर्णन मिलता है जो अपनी अद्भुत शक्तियों और देवताओं के साथ अपने युद्घ के लिए प्रसिद्ध हैं। ये शक्तिशाली असुर अपने युद्घ कौशल और शक्तियों के लिए जाने जाते हैं। 


इस से पहले हमने आपको सबसे 7 शक्तिशाली राक्षसों के बारे में बताया था जिनमें कई सारे असुरों का नाम सम्मिलित नहीं हुआ था। 

shaktishali asur

 

उन शक्तिशाली असुरों के बारे में पढ़ने के लिए यहाँ क्लिक करें

अब इस पोस्ट में हम आपको 7 अन्य ऐसे शक्तिशाली असुरों के बारे में बतायेंगे जो कि अत्यंत शक्तिशाली थे और जिनके वध के लिए स्वयं भगवान को उनसे युद्ध करना पड़ा। 

सबसे शक्तिशाली असुरों की सूची-


उन शक्तिशाली असुरों के बारे में जानने के लिए आप ये पोस्ट अंत तक अवश्य देखें ।

मेघनाद -

meghnaad
meghnaad

 
 

शक्तिशाली असुरों की सूची में रावण पुत्र मेघनाद की बात ना ही ऐसा सम्भव ही नहीं है। रावण पुत्र मेघनाद के जन्म के समय भयंकर गर्जना के साथ मेघों में हलचल हुयी इसलिए इसका नाम मेघनाद पड़ा। मेघनाद अत्यंत शक्तिशाली और मायावी राक्षस था। मेघनाद ने अपनी शक्तियों से प्रभु श्री राम और लक्ष्मण जी को भी मूर्च्छित कर दिया था। रावण के इस शक्तिशाली पुत्र मेघनाद ने अपने बल और पराक्रम से इंद्र को भी परास्त कर दिया था इसलिए इसे इन्द्रजीत भी कहा जाता है। मेघनाद के पास त्रिदेवों के सबसे शक्तिशाली दिव्यास्त्र ब्रह्मास्त्र, पाशुपतास्त्र, नारायण अस्त्र आदि थे। मेघनाद का वध प्रभु श्री राम के भाई लक्ष्मण के हाथों हुआ था। 




कुंभकर्ण -

Kumbhkarna
kumbhkarna

 
 

रावण का छोटा भाई कुंभकर्ण रामायण काल के सबसे शक्तिशाली असुरों में से एक था। वह विशालकाय राक्षस अत्यंत बलवान और क्रूर था। उसने ब्रह्मा जी की कठोर तपस्या करना प्रारंभ कर दिया। जब इसके बारे में देवताओं को पता चला तो उन्होंने मां सरस्वती जी से प्रार्थना की तब उनकी प्रार्थना सुनकर सरस्वती माँ ने उनकी सहायता करने का वचन दिया। जब कुंभकर्ण की तपस्या से ब्रह्मा जी प्रसन्न होकर प्रकट हुए और वर माँगने को कहा , तो उसने इंद्रासन माँगना चाहा परंतु सरस्वती जी की माया के कारण इंद्रासन की जगह निद्रासन हो गया और ब्रह्मा जी ने भी तथास्तु कह दिया। परंतु कुंभकर्ण ने माफी मांगी और दूसरे वर के लिए याचना करने लगा, ब्रह्मा जी ने उस पर दया दिखाते हुए कहा कि तुम 6 महीने सोते रहोगे फिर एक दिन उठोगे और फिर से सो जाओगे। रामायण के अनुसार कुंभकर्ण बहुत ही शक्तिशाली असुर था जिसने प्रभु राम की सेना में कई वानरों को खा लिया था और बाद में प्रभु श्री राम के हाथों मारा गया।


रावण -

Ravan
Ravan

 
 

रामायण में सबसे शक्तिशाली असुरों की बात की जाए तो रावण अत्याधिक शक्तिशाली असुर था । रामायण के अनुसार रावण के पिता ऋषि विश्रवा थे जो कि ऋषि पुलत्स्य के पुत्र थे वहीं रावण की माता कैकसी थी जो कि राक्षस कुल की थी। इसलिए रावण ब्राह्मण पिता और राक्षसी माता की संतान था। रावण कई विद्याओं, वेदों , पुराणों, नीतियों, दर्शनशास्त्र, इंद्रजाल आदि में पारंगत होने के बावजूद भी वह राक्षसी प्रवृतियों से युक्त और अत्यंत मायावी राक्षस था। उसका भय सभी दिशाओं में व्याप्त था। वह भगवान शिव का परम भक्त था जिसने 'शिव तांडव स्तोत्र' की रचना की। रावण को वरदान प्राप्त था कि उसकी मृत्यु किसी भी देव, गंधर्व, यक्ष, दानव आदि के हाथों नहीं हो। वह मनुष्यों को कमजोर समझता था इसलिए उसने मनुष्यों से ना मरने का वरदान नहीं माँगा इसीलिए प्रभु श्री राम ने मनुष्य रूप में अवतार लेकर रावण का वध किया। 

रावण के शक्स्तिशाली अस्त्रों के बारे मे जानने के लिए यहाँ क्लिक करें...


जालंधर - 

Jaalandhar
Jaalandhar

 

जब भगवान शिव जी इंद्र देव से क्रोधित हो गए तो शिव जी के नेत्र से ऊर्जा उत्पन्न हुयी और इस ऊर्जा को जब समुद्र ने धारण किया तब जालंधर का जन्म हुआ। वह बचपन से ही अत्याधिक शक्तिशाली था। दैत्य गुरु शुक्राचार्य की देख-रेख में उसने अपना बचपन बिताया और कई शक्तिशाली विधाएँ सीखी। आगे चलकर वह असुर राज बना और तीनों लोकों पर आधिपत्य स्थापित किया। जालंधर का विवाह वृंदा से हुआ जो कि विष्णु जी की परम भक्त थी और पतिव्रता नारी भी थी। जालंधर ने इंद्र के साथ युद्ध कर उन्हें परास्त किया। उसकी शक्ति का मुख्य कारण उसकी पत्नी वृंदा का पतिव्रत धर्म था। इसके बाद जालंधर ने कैलाश पर आक्रमण किया और देवी पार्वती को पत्नी बनाने की कोशिश की, जिससे देवी पार्वती क्रोधित हो गईं और तब भगवान शिव को जालंधर से युद्ध करना पड़ा। वृंदा के पतिव्रत धर्म के कारण जालंधर को हराना मुश्किल था, इसलिए देवताओं ने एक योजना बनाई और भगवान विष्णु ने जालंधर का रूप धारण कर वृंदा के पास पहुंचे। वृंदा ने उन्हें अपना पति समझकर उनके साथ पत्नी के समान व्यवहार किया, जिससे उसका पतिव्रत धर्म टूट गया और शिव ने जालंधर का वध कर दिया।



मधु - कैटभ -

Madhu-Kaitabh
Madhu-Kaitabh

 

 मधु और कैटभ का जन्म कल्पांत के समय शेषनाग पर विश्राम कर रहे विष्णु जी के कान के मैल से हुआ था। ये दोनों बहुत ही शक्तिशाली असुर थे। इनके उत्पात से सम्पूर्ण ब्रह्मांड परेशान था।
इन दोनों दैत्यों ने विष्णु जी के साथ लगभग 5000 वर्षों तक युद्ध किया। तब इनकी वीरता से प्रसन्न होकर विष्णु जी ने इनसे वर मांगने को कहा लेकिन अपने अहंकार में उन दैत्यों ने विष्णु जी से वरदान नहीं माँगा उल्टा विष्णु जी को ही वरदान मांगने का प्रस्ताव दे दिया। तब विष्णु जी ने उनसे वरदान माँगा कि तुम दोनों दैत्यों को मृत्यु मेरे ही हाथों से हो।
विष्णु जी की बात सुनकर मधु और कैटभ ने अपना सिर विष्णु जी के आगे झुका दिया और विष्णु जी ने अपने चक्र से उनका गला काट कर उनका वध कर दिया। इसीलिए विष्णु जी को मधुसूदन और कैटभाजित भी कहते हैं।





रक्तबीज़ -

Raktbeej
Raktbeej

 
 

रक्तबीज एक अत्यंत शक्तिशाली असुर था जिसे भगवान शिव से वरदान प्राप्त था जिसके अनुसार, युद्ध में उसके शरीर से गिरने वाली रक्त की प्रत्येक बूँद से अनेक रक्तबीज उत्पन्न होंगे जो उसके समान ही शक्तिशाली होंगे । इस वरदान के कारण रक्तबीज को हराना बहुत ही दुष्कर हो गया था।
और उसने इस वरदान के प्रयोग से देवताओं को भी पराजित कर दिया और उस दुष्ट राक्षस का दुराचार भी बढ़ता गया, तब सभी देवता मां दुर्गा की शरण में गए और रक्तबीज को मारने की प्रार्थना की। देवी दुर्गा ने देवताओं को आश्वस्त किया कि वह रक्तबीज का संहार करेंगी। अंततः, देवी काली ने रक्तबीज का वध किया और उनके रक्त की एक-एक बूंद को अपने मुख से पी लिया, जिससे और रक्तबीज उत्पन्न न हो सकें। इस प्रकार रक्तबीज का अंत हुआ।



चंड-मुंड -

Chand Mund
Chand-Mund

 

 चंड और मुंड दो असुर भाई थे जो दैत्य राज शुंभ की सेना में उच्च पदों पर थे। दुर्गा सप्तशती के देवी महात्म्य में इनका वर्णन मिलता है। इस कथा के अनुसार, जब देवी पर्वती ने देवी कौशिकी का रूप धारण किया, तो शुंभ और निशुंभ उनकी सुन्दरता पर मोहित हो गये और उन्हें अपनी पत्नी बनाने का प्रस्ताव दिया। देवी कौशिकी ने उनके इस प्रस्ताव को अस्वीकार कर दिया, जिससे क्रोधित होकर शुंभ ने चंड और मुंड को देवी को हराने के लिए भेजा।
चंड और मुंड से युद्घ के दौरान माता देवी कौशिकी ने अपने क्रोध से देवी काली को उत्पन्न किया, जिन्होंने चंड और मुंड को मार डाला। इस विजय के बाद, देवी काली को ‘चामुंडा’ कहा गया, जो चंड और मुंड के नामों को मिलाकर बना है। 





तो मित्रों ये थी उन 7 शक्तिशाली असुरों की सूची जिनके वध के लिए स्वयं प्रभु को ही उनसे युद्ध लड़ना पड़ा।ऐसे ही और अधिक जनकरी पाने के लिए हमारे सनातनी जानकारी ब्लॉग पर बने रहिए और आप हमें इंस्टाग्राम और यूट्यूब पर भी मिल सकते हैं। 

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