सनातन धर्म क्या है और उसकी उत्पत्ति कैसे हुयी? सनातन धर्मा का महत्व और उसकी सम्पूर्ण जानकारी। Sanatan dharma (HIndu dharma) kya hai uski utpatti aur uska sampurna gyaan. origin of sanatan dharma ,hindu dharma
सनातन धर्म क्या है और उसका महत्व क्या है? (Sanatan dharm kya hai aur uska mahatv kya hai?)-
![]() |
sanatan dharma kya hai? |
सनातन धर्म, जिसे हिंदू धर्म या वैदिक धर्म भी कहा जाता है, विश्व के सबसे प्राचीन धर्मों में से एक है। यह धर्म मुख्यतः वेदों, उपनिषदों, पुराणों, और धार्मिक ग्रंथों पर आधारित है। सनातन धर्म का मूल उद्देश्य जीवन के उद्देश्य को पूरा करने के लिए आत्मा को ज्ञान, भक्ति, और कर्म के माध्यम से ब्रह्म तक पहुँचाना है।
आज हम इस पोस्ट में अपने सनातनी जानकारी ब्लॉग के माध्यम से सनातन धर्म के विषय में चर्चा करेंगे, और जानेंगे कि सनातन धर्म क्या है? और यह भी जानेंगे कि यह कितना पुराना है? और इसके साथ साथ हम इसको और अधिक गहराईयों से जानने की कोशिश भी करेंगे।
हमारे सनातनी जानकारी चैनल का उद्देश्य सनातन धर्म से संबंधित सही जानकारी को लोगों तक पहुंचाना है। अतः आपसे अनुरोध है कि आप हमारे यूट्यूब चैनल सनातनी जानकारी को सब्सक्रायब करना ना भूलें और पोस्ट को अंत तक अवश्य पढ़ें।
क्या है सनातन धर्म (Kya hai Sanatan dharma) -
![]() |
brahm ka gyaan hi sanatan hai. |
सनातन का अर्थ है शाश्वत या सदा बने रहने वाला अर्थात् जिसका ना कोई आदि है ना कोई अंत। सनातन धर्म सिर्फ एक धर्म नहीं है ये एक ऐसी विचारधारा है जो हमें ये स्वतंत्रता प्रदान करती है कि हम कभी भी किसी भी बात पर प्रश्न पूछ सकते हैं? यह एक ऐसा धर्म है जिसमें आपको आपके मन में उठ रहे प्रश्नों को सही तरीके से पूछने और उनका उत्तर जानने की पूर्ण स्वतंत्रता है। सनातन धर्म की विशालता को शब्दों में बांधना, उसी प्रकार है जैसे सागर की अथाह गहराइयों को कुछ मुट्ठी भर जल में समेटना। इसकी व्यापकता और गहराई, अनंत आकाश की भांति, अवर्णनीय है और इसके अनेक रूप, चंद्रमा की कलाओं की तरह, नित नवीन और अपरिमित हैं। सनातन धर्म भारतीय जीवन दर्शन का वह अद्वितीय आधार है जो विश्व के सबसे प्राचीन धार्मिक परंपराओं में से एक माना जाता है।
आजकल सनातन धर्म को ‘हिन्दू धर्म (Hindu dharma)’ के नाम से भी जाना जाता है।
क्यों है सनातन धर्म महत्वपूर्ण? (kyun hai sanatan dharma mahatvpurna)-
![]() |
kyun hai sanatan dharma mahatvpurna? |
सनातन धर्म महत्वपूर्ण है क्योंकि यह व्यक्तिगत और सामूहिक जीवन के लिए एक नैतिक और आध्यात्मिक ढांचा प्रदान करता है। यह धर्म न केवल धार्मिक अनुष्ठानों का एक समूह है, बल्कि एक जीवन शैली है जो ध्यान, योग, और ज्ञान के माध्यम से आत्म-साक्षात्कार की ओर ले जाती है। सनातन धर्म ईश्वर, आत्मा, मोक्ष को जानने का मार्ग बताता है। सनातन धर्म के मूल तत्व सत्य, अहिंसा, दान, दया, क्षमा, जप, तप, यम - नियम आदि है जो कि सदैव बने रहने वाले हैं। सनातन धर्म में हमें कई सारे देवी - देवताओं का वर्णन देखने को मिलता है लेकिन कई देवी देवताओं के होने के बाद भी ये धर्म एकेश्वरवाद की भावना से प्रेरित होता है अर्थात यहाँ कई सारे देवी देवताओं के होने के बाद भी ये धर्म हमें ये सिखाता है कि आप चाहें किसी को भी माने, किसी की भी पूजा करें आप की पूजा अंततः उस परम शक्ति जिसे ब्रह्म कहा गया है उसी परम शक्ति को समर्पित होती है।
![]() | |
sanatan dharma me saakar aur nirakar rup ka mahatv |
अर्थात् हम कह सकते हैं कि सनातन धर्म अपने आप में एकेश्वरवादी है जिसमें परमात्मा को साकार और निराकार दोनों ही रूपों में पूजा जाता है।
भिन्न भिन्न समय में भिन्न भिन्न ऋषि-मुनियों ने अपने शब्दों में सनातन धर्म के बारे में वर्णन किया है जिसमें उन्होंने अपने व्याख्यान में भिन्न भिन्न तरीकों से सनातन धर्म की व्याख्या की है लेकिन अगर हम ध्यान दें, तो पाते है कि सभी ने सनातन धर्म का मूल सार जो बताया गया है वह है आत्मा का परमात्मा से मिलन।
कब से है सनातन धर्म का अस्तित्व?(kab se hai sanatan dharma ka astitv)-
![]() |
kab se hai sanatan dharma ka astitv |
सनातन धर्म, जिसे हिंदू धर्म या वैदिक धर्म भी कहा जाता है, का अस्तित्व अत्यंत प्राचीन है। सनातन धर्म का अस्तित्व हजारों वर्षों से है, जिसकी शुरुआत वैदिक काल से मानी जाती है।‘सनातन’ का अर्थ है शाश्वत या ‘सदा बना रहने वाला’, अर्थात जिसका न आदि है न अंत। इसीलिए हम कह सकते हैं कि इसकी कोई स्थापना तिथि का वर्णन नहीं मिलता है, यह अनादि काल से है । शाश्वत नियमों की व्याख्या अन्य प्रमुख धर्मों के उदय के पूर्व वेदों में पहले से ही कर दी गयी है। सनातन धर्म (sanatan dharma) के कुछ प्रमुख ग्रंथ जैसे कि वेद (Vedas), पुराण (Puranas) , उपनिषद (Upnishad) , रामायण (Ramayan), महाभारत (Mahabharat) और भगवद गीता (Bhagwad Gita), इसकी गहराई और विस्तार को दर्शाते हैं।
ब्रह्माण्ड (Universe) के विस्तार का वर्णन जितना अच्छे से सनातन धर्म में किया गया है उतना किसी अन्य धर्म में देखने को नहीं मिलता है। विज्ञान की दृष्टि से भी सनातन धर्म के ग्रंथों में कई ऐसे उदाहरण मिलते हैं जिनसे ब्रह्मांड को समझना आसान हो जाता है।
सनातन धर्म के अनुसार, चार युगों का वर्णन किया गया है: सतयुग (satyug), त्रेतायुग (Treta yug), द्वापरयुग (Dwapar yug) और कलियुग (Kaliyug)। वर्तमान समय में कलियुग चल रहा है, और इसके समापन के पश्चात सतयुग प्रारंभ होगा। यह क्रम अनवरत जारी रहेगा।
कुछ इतिहासकारों के अनुसार, सनातन धर्म के प्रमाण सिन्धु घाटी सभ्यता में भी मिलते हैं, जिसमें शिव पशुपति, लिंग पूजा, पीपल की पूजा आदि शामिल हैं1।
इस प्रकार, सनातन धर्म का अस्तित्व भारतीय उपमहाद्वीप के धर्म के रूप में वैदिक काल से माना जाता है, और इसकी जड़ें अत्यंत प्राचीन हैं।
इस प्रकार हम कह सकते हैं कि सनातन धर्म सृष्टि के आरंभ से ही है और समस्त सृष्टि के समाप्त होने पर भी ये सदैव बना रहेगा।
तो मेरे सभी सनातनी साथियों ये थी कुछ जानकारी जिनके माध्यम से हम सनातन धर्म के बारे में जान सकते हैं। अगर आपको ये पोस्ट पसंद आयी हो तो इसका विडियो आप हमारे यूट्यूब चैनल पर देख सकते हैं आपसे निवेदन है की इस पोस्ट को ज्यादा से ज्यादा शेयर भी कीजिए जिससे सनातन धर्म को ज़न ज़न तक पहुंचाया जा सके और सनातन धर्म को लेकर जो गलत विचार धाराएँ बनी हुयी है उन्हें भी बदला जा सके।
पोस्ट को अंत तक पढ़ने के लिए धन्यवाद। आपसे निवेदन है आप comment में सनातन धर्म की जय अवश्य बोलिए।
Post a Comment